The Basic Principles Of baglamukhi sadhna

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श्रीसांख्यायन-तन्त्रोक्त भगवती बगला के विविध ध्यान

४९. ॐ ह्लीं श्रीं हं श्रीभव्यायै नमः-हृदयादि वाम-पादान्तम् (हृदय से बॉएँ पैर के अन्त तक ।

अर्थात् – विराट् दिशा’ दशों दिशाओं को प्रकाशित करनेवाली, ‘अघोरा’ सुन्दर स्वरूपवाली, ‘विष्णु-पत्नी’ विष्णु की रक्षा करनेवाली वैष्णवी महा-शक्ति, ‘अस्य’ त्रिलोक जगत् की ‘ईशाना’ ईश्वरी तथा ‘सहसः ‘महान् बल को धारण करनेवाली ‘मनोता’ कही जाती है।

ज्वलत्-पद्मासन-युक्तां कालानल-सम-प्रभाम् । चिन्मयीं स्तम्भिनीं देवीं, भजेऽहं विधि-पूर्वकम्।।

क्रोधी शान्तति दुर्जनः सुजनति क्षिप्रानुगः खंजति।।

To carry out Baglamukhi Shabar Mantra Sadhana, one particular requirements to organize on their own mentally and physically. The practitioner should comply with a specific treatment that requires the chanting of mantras and doing various rituals.

‘देहि-द्वन्द्वं सदा जिह्वां, पातु ‘शीघ्रं’ वचो मम । कण्ठ-देशं’ मनः ‘ पातु,’वाञ्छितं’ बाहु-मूलकम् ।।३ 

ऋषि श्रीसविता द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

तन्नः बगला प्रचोदयात् करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः अङ्ग-न्यास

‘वलगान् कृत्या -विशेषान् भूमौ निखनितान् शत्रुभिर्विनाशार्थं हन्तीति वलगहा तां वलग-हनम् ।

अर्थात् सुवर्ण जैसी वर्णवाली, मणि-जटित सुवर्ण के सिंहासन पर विराजमान और पीले वस्त्र पहने हुई एवं ‘वसु-पद’ (अष्ट-पद/अष्टापद) सुवर्ण के मुकुट, कण्डल, हार, बाहु-बन्धादि भूषण पहने हुई एवं अपनी दाहिनी दो भुजाओं में नीचे वैरि-जिह्वा और ऊपर गदा लिए हुईं, ऐसे ही बाएँ दोनों हाथों में ऊपर पाश और नीचे वर धारण किए हुईं, चतुर्भुजा भवानी (भगवती) को प्रणाम करता हूँ।

पीताम्बरां पीत-माल्यां, पीताभरण-भूषिताम् । पीत-कञ्ज-पद-द्वन्द्वां , बगलां चिन्तयेऽनिशम् ।।

ऋषि श्रीदारुण here द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

विश्वेश्वरीं विश्व-वन्द्यां, विश्वानन्द-स्वरूपिणीम् ।

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